बिना प्रेम पाषाण ह्रदय है
पाषाण में जल की ना है धार
बिन जल कहाँ तरु पर पत्ते
बिन पत्तों के कैसा तरुवर
तरुवर बिन कैसा है उपवन
बिन बहार उपवन भी सूना
बिन फूलों के कहाँ बहार
बिन फूलों कैसे गूंजे
भंवरों की गुनगुन गुंजार
भंवरो के बिन कौन प्रेम के
छेड़े मीठे -मधुरिम तार
बिना प्रेम दुनिया वीरानी,
प्रेम जगत में जीवन सार ||
सुनीता बिश्नोलिया ©® twitter
Nice
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंबहुत सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद सोनिया जी
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद रमेश जी
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