गांधी जयंती
गाँधी का सपना भारत हो,
शिक्षित, स्वच्छ, समर्थ,
सम नर -नारी हों और समझें,
हम धर्मों का अर्थ ।
मीठे वचनों का जल बरसे
भीगे हर इक मन
त्यागें कटु वचन हर जन और,
गाएं हरी भजन ।
राह झूठ की छोडें मानव
मन सत्य हो ज्यों दर्पण
पर सेवा पर उपकार करें,
कर तन-मन, धन अर्पण ।
द्वेष, दंभ, मन से निकले,
हो ह्रदय प्रेम संचार,
घृणा, क्रोध के भाव न जागें,
बहे शांति की मधुर बयार ।
सदकर्मों की ज्योति से हो,
जगमग भारत देश
हाथों पर विश्वास स्वयं के
बदल तू खुद परिवेश ।
सुनीता बिश्नोलिया
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें