#आज भी वो बच्चा
सोचा था आज कुछ शांत होकर
चाय पी जाएगी,
ना भागम-भाग ही होगी,
ना काम की चिंता ही सताएगी।
सुबह के पाँच बचे हैं,
अखबार का इंतजार और
हाथ में चाय का प्याला,
सुबह-सुबह फिर वो दृश्य,
मेरी सुबह को फीकी कर गया,
अधखुली आँखों में दर्द भर गया।
आज फिर वो नन्हा
कूड़े में हाथ मार रहा है,
कचरा बीनते बीनते ही शायद
अपना बचपन संवार रहा है।
अल सुबह ह्रदय पे
घाव गहरा दे गया
वो कचरा उठाता बालक,
समाज के कटु सत्य से
परिचय करा गया।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
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