#तेरे द्वार
कौन आया है ये आकर देखिए,
इस अजनबी से रिश्ता बनाकर देखिए ।
वो उम्मीद भरी आँखों से देख रहा है
एक बार तो उस पर प्यार लुटाकर देखिए।
एक अबोध नन्हा बालक द्वार तेरे है आया,
ना जाएगा रिक्त हाथ वो तुम्हारे द्वार से,
उस मासूम का दृढ़ विश्वास तो देखिए,
उस नादान को अब खुद ही आकर देखिए।
हालत खुद ही बयां उसका चेहरा कर देगा,
प्यार से बोलना तुम्हारा झोली उसकी भर देगा।
भीख नहीं वो प्रेम का निवाला चाहता है,
आँखों में बसे अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर चाहता है।
तुम क्यों चार दिवारी के भीतर और वो बाहर रहता है
तुम नित नए वस्त्रों से सजते हो और वो नंगा सोता है।
क्या मेरे रक्त का रंग तुम से जुदा है
उसके सवालों को आके जरा सुलझाइए,
कौन आया है ये आकर देख तो देखिए।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
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