#अधिकारों का हनन
आज आपको अधिकारों के,
दुरूपयोग की दास्तां बताती हूँ,
आँखों देखी मानवता को शर्मसार करती,
एक घटना सुनती हूँ..
एक बड़े अधिकारी की बेटी,रस्ते से गुजरी
उसी रास्ते एक स्कूटी सवार नारी भी निकली,
शानदार सरकारी गाड़ी की सवारी,
और तिस पर अमीरी की खुमारी,
और इधर वो स्कूटीवाली नारी,
आपस में टकरा गए,
मैडम की आँखों में गुस्से के बादल छा गए,
स्कूटी सवार महिला की आँखों में आँसू आ गए,
पिता के अधिकारों का जमकर दुपयोग हुआ,
कई अफसर आ गए कि छोटी मैडम और
कहीं गाड़ी को तो कुछ नहीं हुआ,
बिना वजह स्कूटीवाली महिला को
बुराभाला सुना गए,
हमारी आदत मदद करने
और जरा सच के पक्ष में बोलने की है,
तो उनके लपेटे में हम भी आ गए।
अब तो हम भी असली रंग में आगये,
रास्ते पर अधिकार जताने वालों पर छा गए,
हमने नुकसान की भरपाई मांगी तो वो मुकर गई,
बस यही बात हमें अखर गई,
अधिकार मांगने से नहीं,छीनने से मिलता है,
बगिया में पुष्प अपने आप नहीं,
माली की मेहनत से खिलता है,
अपने अधिकारों की बात करनेवाले,
ओपना कर्त्तव्य क्यों भूल जाते हैं,
अपने लिए लड़नेवाले क्यों औरों का हक़ मारते हैं,
अनुचित के लिए फिर अनुचित...क्यों वो कर जाते हैं
अपने ही हाथों क्यों अपनों का घर जलाते हैं.....
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें