व्यक्तित्व व कृतित्व
(महानायक अमिताभ बच्चन)
मधुशाला में बहके कोई..
प्यालों को छलका कर के,
हरिवंश तनय क्या लिखूँ कहो ,
आज तुम्हारे बारे में।
कला के अंकुर का उद्भव,
शायद बचपन में पनप उठा,
रंगमंच पे आ के तभी तू,
अमित वृक्ष बन हुआ खड़ा।
प्रारंभ की ठोकर को तूने,
प्रसाद स्वरूप था ग्रहण किया,
लक्ष्य पाने को तूने ,
दुनिया से संघर्ष किया।
अहंकार को जीवन भर,
आने ना अपने पास दिया,
मुख पे मुस्कान सदा रहती,
अभिमान ना तुझे जरा सा किया।
जीवन में जय का प्रवेश अमित,
अभिषेक 'एश्वैर्य ' का करता है,
'आराध्य' की भांति ईष्ट हो तुम,
मन प्रणाम दूर से करता है।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
It seems u r grt fan of Amitaab Sir like me
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