मुहब्बत नाम है तन्हाई में तन्हा सुलगने का,
सनम की याद में खुद को..गम में डुबोने का।
मुहब्बत नाम है दिल पे बनी,उन लकीरों का,
जिगर को भेदती गहरा,चमचमाती शमशीरों का।
मुहब्बत नाम है दिल में लगे उस घाव गहरे का,
जमाने ने लगा रखे..कड़े नजरों के पहरे का।
चले ना जोर दिल का वो,मुहब्बत ही तो होती है,
दिन-रात फिर मजबूर आँखे,मुहब्बत में ही रोती हैं।
बड़ी उम्मीद से मैंने बनाया आशियां मुहब्बत का,
मेरी हसरत के टूटे महल..बचा खंडर मुहब्बत का।
है नाजुक बड़ी ये चीज, कच्चे काँच की तरहा,
जो टूट कर भी दे ही जाता , जख्म भी गहरा।
किसी के नाम पर खुद को फ़ना कर गुजरने का।,
मुहब्बत नाम है तन्हाई में तन्हा सुलगने का।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
Well said
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