#31 दिसंबर 2017
#नववर्ष
नव-वर्ष हर्ष लाएगा,ये उम्मीद हृदय में पलती है,
कोमल मन की सच्ची आशा,सदा-सर्वदा फलती है।
तोड़ चलें प्राचीन ये सारी,परम्परा हर भारी-भारी,
रचने को इतिहास ह्रदय से,आज उठी है एक चिंगारी।
दिल को गहरे कुछ घाव ये जाते,दे गया पुराना साल,
लापरवाही छोड़ गई ,दिल में जलते हुए कई सवाल।
आओ हम भी प्रण लें सारे ,मिलकर के इस वर्ष,
हर चेहरा पुलकित होगा, और हर चेहरे पे होगा हर्ष।
ढोंगी और भ्रष्टाचारी की ,कमर तोड़ मानेंगे,
देश के रक्षा -यज्ञ में हम भी, समिधाएँ डालेंगे।
विकास के पहिए को ,मिलकर हम राह दिखाएँगे,
मार्ग में आते अवरोधक ,मिलकर ही हटाएँगे।
संसाधनों का उचित हो वितरण,और उपयोग हो सीमित,
हर भूखे का उदर तृप्त हो, बस इतना हो उनको अर्जित।
मूल्यवृद्धि कम करने को हो ,जमाखोरों पर वार,
नए साल में बरसे खुशियाँ , ऐसा हो व्यापार।
स्वच्छंद पंछी की भाँति ,हर बिटिया भी उड़े आकाश,
डर-भय ना हो उसे कहीं, राह में सुरक्षा का हो प्रकाश।
ऐसी हो नव वर्ष में ईश्वर धरा भारती माँ की,
विजय सदा वरण करे,उतारे आरती वो माँ की।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
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