#गुलामी
सुधा ने ससुराल में पहला कदम ही रखा था कि एक आवाज आई...बिमला माना कि तेरी बहू बहुत सुंदर है...पढ़ी-लिखी है,नौकरी भी करती है।पर इसमें संस्कारों की तो कमी है इसने घूंघट ही नहीं निकाल रखा।अरे जब पल्ला सिर पर लिया है तो क्या पल्ले को थोड़ा आगे खिसका लेती तो पल्ला घिस जाता..भाई पढ़ी -लिखी तो हमारी बहू भी है मजाल है,पल्लू सरक जाए।
विमला ने जेठानी को कहा भाभी जी वो इसे मैंने ही कहा था घूंघट निकालने की जरूरत नहीं..। इतना सुनते ही विमला की जेठानी बोली...हे राम ! तू तो पहले ही हमारे खानदान की परम्पराओं को तोड़ती रहती है..औरतों की लाज-शरम बची रहे उन परम्पराओं का तो मान रख ।सुधा चुपचाप ये सब देख रही थी..उसका मन किया कि वो कुछ बोले । अमन ने भी उसे सब-कुछ चुपचाप देखने का इशारा किया। जेठानी का बड़बड़ाना जब बंद नहीं हुआ तो...विमला बोली। दीदी मैंने भी जाने अनजाने और आप लोगों के झूठे मान का मान रखते हुए सारी सही-गलत परम्पराओं को निभाने ने की कोशिश की ,लेकिन मैं अपनी बहू को इन परम्पराओं की दासी बनाकर इनकी # गुलामी करने को मजबूर नहीं करुँगी।ये जैसी है वैसी ही रहेगी...इसे जीवन में बहुत कुछ पाना है..इन परम्पराओं की बेड़ियों में जकड़कर ये कभी लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाएगी । जैसे आपकी जिद और थोथी परम्पराओं के बंधन ने आपकी प्रतिभाशाली बहू को पंगू बना दिया..किन्तु माफ़ करें ये मेरी बहू है । सुनकर जेठानी जी की बगले झाँकने लगी..अमन और सुधा एक-दूसरे को देख मुस्कुरा उठे..पास ही खड़ी जेठानी की बहू भी शायद हिम्मत बटोर रही थी।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
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