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समय का सदुपयोग


#समय का सदुपयोग
            समय कभी ठहरा नहीं,चाहे रोके राज रंक,
             ये मनमौजी नीर सा बहे छोड़ कर पंक।
वास्तव में समय नीर की भाँति निरंतर बहता रहता है। बड़े-बड़ों ने समय को बाँधने का प्रयास किया परन्तु बाँध नहीं पाए।
प्रकृति की और से मानव को दिया गया अनमोल तोहफा है समय।
जहाँ करोड़पति और रोडपति में अंतर नहीं किया जाता।
हम मनुष्य आज भी समय के सदुपयोग की महत्ता नहीं समझ पाए हैं हमारी आदत है आज का काम कल पर टालने की क्योंकि कार्य को समय पर पूरा ना करना तो हम भारतीय यदा कदा भारतीय होने की निशानी मान बैठते हैं और इसके लिए अपनी पीठ भी थपथपाते हैं।
समय वो वस्तु है जिसे खोकर प्राप्त नहीं किया जा सकता और हम अपने टाल मटोल करने के स्वभाव के कारण अपने लिए कार्य और समस्याओं का जंजाल खड़ा करते जाते हैं और एक दिन उस जाल में फँस कर छटपटाने लगते हैं किन्तु बाहर निकलने का कोई मार्ग नहीं दिखाई देता।
            बीज धरा  की गोद में प्यासा समय बिताए
             बरखा आने के तलक बीज खाद बन जाय।
अथार्त जब पौधे को जरुरत है तब पानी नहीं मिलता तो वो प्यास के कारण अवश्य मर जाएगा,समय से बरसात न होने पर किसान की खेती भी सूख जाएगी।समय का पहिया जिस गति से चलता है वो मुड़कर कभी नहीं आता ये बात जानते हुए भी कुछ आलसी और निकम्मे लोग समय की महत्ता स्वीकार नहीं करते वो दुनिया के साथ कदम से कदम मिलकर नहीं चल पाते और दुनिया की दौड़ में पिछड़ जाते हैं। समय बलवान है समय पर कार्य करना धनार्जन की भाँति ही लाभकारी है। जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करता है तथा समय की महत्ता स्वीकार कर समयनुसार हर कार्य पूर्ण करता है ,सफलता ऐसे मनुष्य के कदम चूमती है।
अगर विद्यार्थियों के संदर्भ में ये बात कहूँ तो सत्य यह है कि कुछ विद्यार्थी पूरे साल तो पढ़ते लिखते नहीं ,इधर-उधर की बातों में समय व्यतीत कर देते हैं किन्तु वही अंतिम समय में पुस्तकों से माथा-पच्ची करते हैं किन्तु परिणाम आने पर समय पर पढने वाले छात्रों के मुकाबले फिसड्डी साबित होते हैं। अर्थात् पेड़ को समय रहते पानी ना देने वाला व्यक्ति उसके फल से वंचित रह जाता है उसी भाँति समय को नष्ट करने वाले छात्र भी मीठे परीक्षा फल से वंचित रह जाते हैं।
कुछ लोग समय के रुकने की प्रतीक्षा में सुनहरे समय को गँवा बैठते हैं और यथा समय पर उसका लाभ नहीं उठा पाते...बाद में उसके पीछे दौड़ते हैं, घिसटते-पिटते ऐसे लोगों की दौड़ ताउम्र चलती रहती है।
आज तक समय को कोई अपने अधीन नहीं रख पाया,जो समय का दुरूपयोग करते हैं वो स्वयं के लिए ही गड्डा खोदते हैं और समय का सदुपयोग करने वाले व्यक्ति इच्छित लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं।
समय सम्मान मांगता है,किन्तु आज लोगों में समय के सम्मान की प्रवृति समाप्त होती जा रही है....अदालतों में वर्षों से लंबित मुकदमे,विभिन्न सरकारों द्वारा कार्य करने की घोषणा के वर्षो -महीनों बाद कार्य को प्रारंभ करना,फिर कार्य समाप्ति के तो क्या कहने। समय के साथ योजनाओं को पूरा न कर पाने की स्थति में धन की लागत अधिक,उदासीन और भ्रष्ट सरकारी तंत्र के कारण खाली होता राजकोष।
अधिकांशत: देखा गया है कि कोई बड़ा हादसा होने के बाद कुछ नियम बनाये जाते हैं,जर्जर ईमारत जीर्णोद्धार के अभाव में गिर जाती है और कई जिंदगियों को लील लेती है ऐसा लगता है शासन तंत्र उस इमारत  के गिरने की प्रतीक्षा में ही कार्य आगे नहीं बढ़ा रहा था। हर सरकार और सरकारी कर्मचारियों के आलस्य और ढुलमुल  नीति का खामियाजा भुगतते हैं सीधे -साधे लोग जो अपना अमूल्य 'मत' देते  समय व्यक्ति विशेष पर पूरा विश्वास दिखाते हैं।
आप ही सोचिये क्या वो युवा आज भी युवा ही हैं जिन्होनें आज 5-7वर्ष पूर्व इस उम्मीद  से सरकारी नौकारी हेतु आवेदन किया था कि वे भी सरकारी नौकरी कर माता-पिता के सपने पूरे कर सकेंगे।
किन्तु आज वो युवा अधेड़ हो चुके हैं नौकरी  और परीक्षा परिणाम के इंतजार में किन्तु लापरवाही का ये आलम है कि उन लंबित परिणामों की और समय से ध्यान दिया ही नहीं जाता और देश में हर वर्ष बेरोजगारों की खेप तैयार कर दी जाती है।
सभी को समय का सदुपयोग करते हुए अपने दुर्भाग्य को सुभाग्य में परिवर्तित करने का प्रयास करना चाहिए...अन्यथा समय रेत की तरह हमारे हाथ से फिसल कर लौट जाएगा...क्योंकि समय मनुष्य से बलवान है हर चीज को बाँधने का दावा करने वाला मनुज इसे अभी बाँध नहीं पाया है।

#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर

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