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पत्र संतोष मैम के नाम


#तिथि-20/2/18

आदरणीया,संतोष मैम,
        सादर चरण-स्पर्श,
  मैंम मैं यहाँ कुशलता पूर्वक रहते हुए ईश्वर से आपकी कुशलता की मंगल कामना करती हूँ। मैंम मुझे आपके द्वारा हम छात्रों पढ़ाने-समझाने और प्यार करने का अन्दाज आज भी याद है...आज भी आपकी मीठी बोली कानों में गूँजती है,गूंजता है आपका हर प्रेरणादायी  शब्द जो आप कक्षा में बोला करतीं थी और प्रार्थना सभा में आपको सुन कर दिन बन जाया करता था।
मैम आपका हिंदी के प्रति लगाव और छात्रों में हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना और मुझे अपने हर कार्य का दायित्व संभला देना,मेरी कविताओं की प्रशंसा करना,नित्य लेखन हेतु प्रेरित करना ...जैसे कल ही की बात है।मैम आप मात्र शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं वरन हर क्षेत्र में निपुण थीं, जैसे-अंतर्विद्यालय स्तर पर गायन,वाद-विवाद,भाषण,नाटक आदि हेतु हमपर जितनी  मेहनत करतीं ...शायद उसी का प्रभाव मुझ पर पड़ा है जो मैं भी अपने छात्रों पर आप ही की भांति प्रभाव छोड़ने का प्रयास करती हूँ। मैम मुझे अच्छी तरह याद है..आपकी मेहनत,लगन और निष्ठा देखकर प्रधानाचार्य श्रीमती तारावती भादू ने प्रार्थना सभा में कहा था कि आप बहुत आगे जाएँगी।
सात -आठ वर्ष पूर्व मुझे उस समय बहुत गर्व की अनुभूति हुई जब मेरी भतीजी ने उसी विद्यालय में प्रवेश लिया और फोन करके मुझे बताया कि आप उस समय तक उसी विद्यालय की प्रधानाचार्या बन कर पुन:नियुक्ति पा चुकी थीं और बच्चो पर पहले की भांति ही मेहनत करती हैं...किन्तु और अधिक सुखद अनुभूति तब हुई जब मुझे ज्ञात हुआ कि आप सीकर की जिला शिक्षा अधिकारी बन गईं। मैम ये आपके सद्गुणों और आपकी कर्त्तव्यनिष्ठा का ही परिणाम है...काश मुझे आपके एक गुण  का भी ईश्वर मुझे वरदान दे। मैम इन  बाईस सालों के बीच मैं आपसे सिर्फ तीन-चार  बार मिली, आपका प्यार और आत्मीयता कुछ भी तो नहीं बदला...सच मैम आप फल से लदा वो वृक्ष हैं जो सैदेव झुका रहता है।
अगर अभी जाने अनजाने मैंने आपका दिल दुखाया हो तो क्षमा प्रदान कीजिएगा।
#आपकी प्यारी...चंचल चिरैया ( मैम मुझे इसी नाम से बुलाती थीं)
# सुनीता सैनी (बिश्नोलिया--शादी के बाद मिला नाम)

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