#धोखा
कोई तो बताए धोखा कहाँ नहीं होता,
परम्परा पुरानी है वर्षों से चली आ रही है
हर तरफ .छल,कपट और धोखा है।
सब जानते हैं धोखे का परिणाम बुरा ही होता है,
कैकई ने धोखे से ऐसा वचन लिया,
फिर खुद ही वैधव्य का जहर पिया।
रावण ने धोखे से सीता का हरण किया,
इसी धोखे ने इसके पुत्रों के प्राणों का वरण किया।
राम ने भी सीता को धोखा ही तो दिया था,
गर्भवती को घर से निष्कासित जो कर दिया था।
आज भी धोखेबाजों से भरी ये दुनिया है
कदम-कदम पर धोखा और दगा देती ये दुनिया है।
रिश्ते नाते भी भेंट चढ़ गए धोखेबाजों के,
अपनों के धोखे के अपरिचित है मिजाजों से।
#सुनीता बिश्नोलिया ©
#जयपुर
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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