धैर्य ,साहस ,शौर्य,वीरता,पराक्रम,और गजब का अनुशासन.....सभी शब्द पूरक हैं भारतीय सेना और सेना के हर जवान। के। सेना के धैर्य की परीक्षा लेते हजारों स्कूली बच्चे..प्रश्नों की झड़ी लगाते बच्चे..एक के बाद दूसरा बच्चा हथियारों की जानकारी लेने को उत्सुक...और उतनी ही उत्सुकता से जवाब देते धैर्य में धरा की बराबरी करते सैनिक।उनके माथे पर तनिक भी थकावट और खिन्नता की सिलवटें नहीं दिखीं। छात्रों को हथियारों की जानकारी और दुश्मनों के बारे में बताते-बताते उनकी आँखों में उत्साह,साहस,वीरता की झलक तथा मस्तिष्क पर पराक्रम से उभरता श्वेद वाह्ह अद्भुत दृश्य था वो।जवानों द्वारा रोंगटे खड़े करने वाला शौर्य प्रदर्शन..अद्वितीय था। इन हाथों में भारत का रखा सूत्र देख कर लगा भारत माँ की तरफ उठती आँखों का जवाब देने में इनकी आँखें ही काफी हैं..धन्य है भारतीय सेना,इतनी चौकस,इतनी फुर्तीली अकल्पनीय।
भारतीय सेना के साथ बिताया वो समय ..छात्रों के हृदय में भी जोश का संचार कर रहा था..जयहिंद।
#सुनीता बिश्नोलिया
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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