#बाल कविता
कक्षा में टीचर ने बोला ,
टेस्ट तुम्हारा कल लूँगी,
गर भूल गए पढ़ना कोई,
खबर तुम्हारी फिर लूँगी।
घर पर चर्चा करी नहीं,
मम्मी की भी सुनी नहीं।
जबरन माँ ने बस्ता खोला,
खेलें आओ बंटू बोला।
गोलू भईया खेले खूब
पढ़ना तो वो गए थे भूल
हुई रात वो थके बिचारे,
सो गए देखते सपने प्यारे।
स्कूल गए शामत आई,
अब टीचर ने क्लास लगाई।
जीरो नंबर देख डर गर गए,
गोलू जी के तोते उड़ गए।
बीमार है माँ गोलू बोला,
भण्डार बहानों का खोला,
टीचर ने घर पे फोन लगाया
उफ्फ.झूठ बोल गोलू पछताया।
कभी ना बच्चो बोलो झूठ,
माँ -विद्या जाएगी रूठ।
जो सच बोले वो मेवा पाए,
झूठा हरदम शीश झुकाए।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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