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औरत

#औरत
ज्योति-पुंज,है निकुंज,
         मातृ-शक्ति है,ये भक्ति भी
है यथेष्ठ,सबसे श्रेष्ठ,
       ईश्वर की सूरत,स्वयं है औरत।
इसका शुभ्र है चरित्र,  
        सब सखा सभी हैं मित्र,
अडिग-अचल है धरा ,
              ह्रदय में प्रेम है भरा।
कोमल सी है ये कामिनी,
                तेज है ज्यों दामिनी,
सत्ता पुरुष की तोड़ती,
               निशां विजय के छोड़ती।
आँगन में जलती जोत,
                महान- प्रेरणा की स्त्रोत,
जीवन संगिनी,अर्धांगिनी,
              जिम्मेदारी से लदी लता घनी।
साक्षात् सकल सृष्टि है,
                  सब पे करती प्रेम-वृष्टि है,
परीक्षा में सदा खरी,
                    जूनून जोश से भरी ।
कैसा भी विचार हो,
                   लोलुप सकल संसार हो
निर्मलता का निर्झर है ये,
                जग की रखती हर खबर है ये।
गुणों की ये है खदान ,
               परम-पूज्या है महान।
साश्वत सत्य है यही,
                 सम्पूर्ण जैसे हो महि।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर

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