#औरत
ज्योति-पुंज,है निकुंज,
मातृ-शक्ति है,ये भक्ति भी
है यथेष्ठ,सबसे श्रेष्ठ,
ईश्वर की सूरत,स्वयं है औरत।
इसका शुभ्र है चरित्र,
सब सखा सभी हैं मित्र,
अडिग-अचल है धरा ,
ह्रदय में प्रेम है भरा।
कोमल सी है ये कामिनी,
तेज है ज्यों दामिनी,
सत्ता पुरुष की तोड़ती,
निशां विजय के छोड़ती।
आँगन में जलती जोत,
महान- प्रेरणा की स्त्रोत,
जीवन संगिनी,अर्धांगिनी,
जिम्मेदारी से लदी लता घनी।
साक्षात् सकल सृष्टि है,
सब पे करती प्रेम-वृष्टि है,
परीक्षा में सदा खरी,
जूनून जोश से भरी ।
कैसा भी विचार हो,
लोलुप सकल संसार हो
निर्मलता का निर्झर है ये,
जग की रखती हर खबर है ये।
गुणों की ये है खदान ,
परम-पूज्या है महान।
साश्वत सत्य है यही,
सम्पूर्ण जैसे हो महि।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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