#दोहे--हनुमान
राम-नाम हनुमान से,जग में फैला जाय,
बिना भक्त हनुमान के,राम कहाँ सुख पाय।
देख जगत की ये दशा,सोच रहे हनुमान,
संकट खुद पैदा करे, है ये जग नादान।।
संकट हरता जगत का,संकटमोचन वीर,
दीनों की विपदा हरे,पवन-सुत महावीर।
राम-नाम जपते सदा,पवन-तनय हनुमान,
मन मंदिर में राम है,मन ही पावन धाम।
आज जगत को चाहिए,एक और हनुमान,
दैत्य धरा पर हैं बहुत,धरा बनी शमशान।
हनुमत जी की आरती,गाता है हर कोय,
भूतों से धरती भरी,सभी भक्ति में खोय।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर (राजस्थान)
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