आँखें 1आँखें मन का आइना,बोले ये बिन बोल।
इनसे छिप पाया नहीं,भेद दे रही खोल।
2.नीरज-नटखट नयन हैं, उलझे-उलझे केश।
नीर नयन से छलकिया,पिया गए किस देश।।
3.आँखें कहती प्रेम की,हर अनसुलझी बात।
हँस-मुस्काते रोवते,नैना हैं कुम्लात ।।
4.नैनों में है रिक्तता,अधरों पर मुस्कान।
राहों में तेरी बिछे,उपजे विरहा गान।।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर  
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें