#हादसा
हादसा भी तो हमारे जीवन का बन गया हैं हिस्सा,
ये हक़ीकत है दोस्तों न समझो इसे तुम किस्सा।
पहले हादसे की शुरुआत तो घर से ही जो गई,
हमारे खर्राटों की वजह से ,श्रीमती जी की नींद टूट गई।
हमारे घर में चलती मैडम की ही मर्जी है
बात मनवाने के लिए देनी पड़ती उनको अर्जी है।
माना कि मन सुबह-सुबह मेरा चाय का प्यासा है,
मिल गई तो ठीक वरना ये भी मेरे साथ एक हादसा है।
अल सुबह घर में युद्ध के बादल घिरे हुए हैं,
हम भी 'हादसा' होने से पहले ही डरे हुए हैं।
पता है हमें कि एक बार तो टक्कर खाएँगे,
अब तो काम पे निकलते हैं वरना अब चक्कर ही आएँगे।
लगता है आज हमने खुद हादसों को घर बुलाया है,
तभी तो 1990 वाले स्कूटर को पंचर पाया है।
सोचा अब तो पैदल जाने में ही है भलाई,
वरना बोस की कडक आवाज भी देगी सुनाई।
इतने में भागता हुआ,माँ का जासूस आया,
और हमारा लगभग फटा हुआ खाली बटुआ हमें थमाया।
जरा सी दूर ही पहुचे थे कि झमा-झम बारिश होने लगी,
अब तो समय से ना पहुँच पाने के डर से आत्मा हमरी रोने लगी।
अचानक एक ऑटो वाले को हम पर तरस आया,
जानकार होने के कारण पास आकर ऑटो लगाया।
हमने खुले पैसे ना होने का बहाना भी लगाया,
पर उसने पैसे कल देने की कह कर हमें उसमें बिठाया।
थोडा सा चलते ही हमारे शहर ने हमें दर्पण दिखाया,
शान से चलता हमारा ऑटो एक गहरे गड्ढे की गिरफ्त में आया।
ये हादसा ऑटो वाले के लिए कोई कम न था,
हम भी मदद के लिए उतरे,दफ्तर न जाने का हमें भी कोई गम न था।
जीवन के हर मोड़ पे हादसा होने का डर रहता है,
मजाक नहीं...संभल कर चलने से ही खुशगवार सफ़र रहता है।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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