#उल्लास
कृष्ण जन्म उल्लास में,डूबा गोकुल ग्राम।
आँसू बहते आँख से,माता के अविराम।।
कान्हा झूले पालने, माँ मन में हर्षाय,
नजर न मोहन को लगे,कजरा मात लगाय।।
देख शरारत कान्ह की,मात-पिता मुसकाय।
नन्द-यशोदा की ख़ुशी,नयनों में दिख जाय।।
तुतली बोली कृष्ण की,माँ को रही रिझात।
उमड़ रहा उल्लास जो,आँचल नहीं समात।।
मोहन माखन-मोद में,भर लीन्हों मुख माय।
मात यशोदा जो कहे,कान्हा मुख न दिखाय।।
कान्हा ने उल्लास में,सखियन चीर छुपाय ।
सखियाँ रूठी कृष्ण से,नटखट वो मुसकाय।।
कृष्ण सामने जान के,सखियाँ ख़ुशी मनाय।
सुन मुरली घनश्याम की, सुध-बुध भूली जांय।।
कान्हा लेकर साथ में,ग्वाल-बाल की फ़ौज।
मन में भर उल्लास वो,करते कानन मौज।।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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