#डर के वो पल
बात उस दिन की है जब पतिदेव 5-6 दिन के ट्यूर के बाद दिल्ली से वापस आने वाले थे। अभी आधा घंटे पहले ही उनसे बात हुई थी। वो करोल बाग दिल्ली में बच्चों के लिए शापिंग करके वापस आए और थोड़ी देर बाद ट्रेन में बैठने के लिए कह रहे थे। मैंने भी सोचा कि अब उनको चंडीगढ़ पहुँचने में देर लगेगी सो खाना तो नहीं खाएँगे। अब खाना नहीं बनाना तो टी.वी ही देख लेते हैं,मैंने ज्यों ही टी.वी चलाया देख के घबराहट हो उठी । फटाफट मैंने मोबाइल उठाया और पतिदेव को लगाया। बहुत कोशिश की फोन नहीं लगा। इतने में नीचे के फ्लोर में रहने वाले मकान मालिक अंकल-आंटी आ गए और पतिदेव के बारे में पूछने लगे। फिर फोन लगाया फोन नहीं लगा..टी.वी पर दिल्ली में जगह-जगह बम-विस्फोट की घटना ..लाशें ...उफ्फ्फ।
कभी नजरें टी.वी पर कभी हाथ और कान फोन पर ..इनका फोन नहीं लगा मुझे डर और घबराहट से रोना आ रहा था। अंकल -आंटी वहीँ बैठे मुझे इनके जल्दी आने की बात कह रहे थे। एक-डेढ़ घंटे के बाद इनका फोन आया पर कट गया पर इससे मेरी घबराहट और डर बढ़ गया। बच्चे भी पापा से बात करने के लिए रोने लगे।
लगभग बीस-पच्चीस मिनिट बाद पतिदेव का फोन आया इन्होने सिग्नल न होने की बात कही ।इन्होने बताया जब विस्फोट हुए ये ट्रेन में बैठ चुके थे और इन्हें भी ट्रेन में ही ये सूचना मिली। रात को इन्हे चंडीगढ़ पहुँचते-पहुँचते 12 से 1 बज चुके थे । जब तक ये आए नहीं तब तक कोई पानी भी नहीं पी पाए लेकिन जैसे ही इन्हें देखा रोना फूट पड़ा...पर वो दो घंटे मेरे लिए डर की अति थी..
मन उन आतंकवादियों को बद दुआएँ दे रहा था जिनके कारण इतने लोग मरे।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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