#उत्सव
घर में 'उत्सव' है सखी ,
मिल गाएँ मंगल गीत।
इंदौर उत्सव स्थान है,
करना हैं शुरू संगीत।
शानदार उत्सव होगा,
होगी शानदार हर बात,
सखियाँ सब मिल जाएँगी,
उत्सव वाली रात।
हिल-मिल सखियाँ सब चली,
मुख पे अनोखी शान,
साहित्य का उत्सव यहाँ होगा,
होगी सबसे पहचान।
कविता मधुर सुनाएँगी,
सखियों की क्या बात,
सब बंधू वहीं लगाएँगे,
उत्सव में अपनी जमात।
बिटिया की शादी में जैसे,
बहुत बटोही आते हैं,
इस उत्सव में भी सखियों,
आओ मेहमान बुलाते हैं।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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