#पर्यावरण
माननीय पार्षद महोदय मंच से उतरे इतने में एक दस वर्षीय बालक उनके पास पहुँच गया और निडर होकर बोला,सर आपके विचार बहुत ही सुन्दर हैं।वास्तव में आप देश के सच्चे सेवक हैं आप को प्रकृति और पर्यावरण की बहुत चिंता है...हम बच्चे आप से बहुत कुछ सीख सकते हैं।
पार्षद जी खुश होकर बोले शाबास बेटा..हम जनता और प्रकृति के भलाई करते हैं तो हमें भी सच्चा सुख मिलता है।हमारी बातों को याद रखना और अपने आस-पास रहने वालों और अपने मित्रों को समझाना की पर्यावरण की रक्षा करना हमारा धर्म है।
बच्चा कहता है जी धन्यवाद सर मैं आपकी बात अवश्य याद रखूँगा...किन्तु अब आपकी सभा के कारण हमारे उद्यान का जो नुकसान हुआ है उसे ठीक करवा दीजिए..क्या मतलब पार्षद महोदय पूछते हैं।
बच्चे ने कहा सर आपकी बातें सुनने बहुत ज्यादा लोग आए सब आकर उद्यान में हर कहीं बैठ गए..देखिए काफी संख्या में छोटे पेड़-पौधे तोड़ गए,देखिए कितने फूल..पत्तियों को नुकसान पहुँचा गए हैं। और सर आपके देर से आने के कारण सभी ने चाय-नाश्ता भी यहीं किया..वो सारा कूड़ा भी यहीं फैला गए...उन्होंने पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुँचाया..सर आपके भाषण के लिए जो मंच बनाया गया उस स्थान के लिए भी फूलों की पूरी एक क्यारी को हटाया गया...बच्चा बोल रहा था,तभी पार्षद महोदय जल्दी में निकल गए...कहा ठीक है बेटा मैं बिल पास करवा दूँगा ये उद्यान दुबारा सही हो जाएगा...सॉरी अभी मेरी दूसरी सभा है...बच्चा मन में सोचता है,तो आज एक उद्यान और खराब करेंगे...!!!!
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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