#मोलभाव--दोहे
मोल-भाव का चल रहा,देखो कारोबार।
छिपे हुए हैं संत की,पहने खाल सियार।।
मोल -भाव ही रह गया,अंतिम अब हथियार।
जनता खोकर वोट भी, बैठी है लाचार।।
गद्दी खातिर हो रहा,जग में हाहाकार।
आम जनों से छिन गए,क्यों उनके अधिकार।।
मोल-भाव मत कीजिए,रिश्ते हैं अनमोल।
दौलत से भी हैं बड़े,रिश्ते तुले न तौल।।
पैसों से मिलती नहीं,दुनिया में हर चीज।
मोल-भाव मत कर मना,प्रेम-प्रीत का बीज।।
शिक्षा का भी हो रहा,मोल-भाव जग माय।
सच्चे गुरुवर है कहाँ,शिष्य कहाँ मिल पाय।।
छुप-छुप छलिया कर रहे,शादी का व्यापार,
मोल-भाव तय हो गया,तब रिश्ता स्वीकार।।
मोल-भाव हैं कर रही,सखियाँ बीच बजार,
बोल न पावे बीच में,दिखते सब लाचार।।
#स्वरचित
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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