वैश्विक ताप--कारण और निवारण
माँ वसुधा पर फ़ैल रहा है,आज धुँआ विषैला,
हाय!तड़पती माँ का तन भी हुआ बड़ा मटमैला।
जी हाँ आज वसुधा जल रही है ताप से,और मैली हो गई है हमारी ही गलतियों से। सारा संसार जल रहा है,गर्मी,धूप ,धुआँ ,प्रदूषण से। कारण है स्वयं हम हमारी आपसी प्रतियोगिता, भोग की इच्छा अर्थात उपभोक्तावाद। हर मनुष्य के मन में संसार की हर सुख सुविधा पाने की इच्छा..लालच। जितनी इच्छाएँ उतना ही उपभोग,अत्यधिक उपभोग से संसाधनों का दोहन,नित नई फैक्ट्री ,फिर धूम्र का गुब्बार। बढ़ती जनसंख्या का अपने स्वार्थसिद्धि हेतु संसाधनों का दुरुपयोग,पेड़ों की अंधाधुंध कटाई परिणामस्वरूप सिमटते ग्राम और बढ़ते शहर। कुटीर उद्योगों की समाप्ति और पूर्ण मशीनीकरण के कारण बिजली चालित उपकरणों पर निर्भरता जिससे बढ़ता ताप। आधुनिकता के कारण पैदल चलना बंद और पेट्रोल डीजल चलित वाहनों से बढ़ता प्रदूषण। विश्व के सभी देशों में बढती आपसी प्रतिस्पर्धा और एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ , युद्ध के खतरे तथा अपनी शक्ति बढाने हेतु हथियारों का निर्माण और उपयोग। बढ़ता परमाणु परीक्षण ,बढ़ता आतंकवाद जिसके कारण हथियारों का दुरूपयोग और बढ़ता युद्ध और हमले,आये दिन जंगलों में लगती आग आदि कारणों से आज वैश्विक ताप की समस्या उत्पन्न हो गई है जिससे पर्यावरण असंतुलित हो गया ।अतिवृष्टि और अनावृष्टि की स्थिति हर जगह हर कभी उत्पन्न हो रही है। जिससे धरती को हिमस्खलन,अर्थात ग्लेशियर पिघलने लगे और धीरे-धीरे धरती की गर्माहट बढ़ने लगी।अगर शीघ्र ही एन अनैतिक कृत्यों पर लगाम नहीं लगाईं तो धरती और धरतीवासियों के लिए विकट समस्या उत्पन्न हो जाएगी। धरती ज्यादा गर्म होती है तो ज्वालामुखी फटना भूकम्प और अन्य प्राकृतिक आपदाएँ उत्पन्न होती हैं जिसके कारण मानव जीवन संकट में है। धरती को ताप से बचाने के लिए इसका अत्यधिक दोहन कम करना होगा,प्राकृतिक संसाधनों की चाह में इसका हृदय छलने करने वालों पर नकेल कसनी होगी। विश्व को युद्ध की विभीषिका से बचाना होगा, बढ़ते ओद्योगीकरण पर लगाम लगानी होगी। आपसी सूझ-बूझ और समझ से विश्व के सभी देशों को हथियारों के परीक्षण पर रोक लगानी होगी। पर्यावरण की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना होगा,जल संचय कन होगा पानी बचाना होगा ..
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
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