#तू माझी
तू माझी मैं पतवार पिया,
मैं नाव तू खेवनहार,
तुझ बिन सागर ये पार न हो ,
मैं मझधार तू तारनहार।
तुझ से जुड़ी मेरी जीवन-नैया,
जीवन का तू आधार।
हो संग तेरे हर सुबह-शाम,
है तुझसे मेरा संसार।
अनमोल पिया जीवन के क्षण,
तू प्रेम की मधुर बयार।
बांधू कैसे आज समय को,
ये बहता है बन नीर।
प्रीत की साखी ये नदिया,
है जल में भी संगीत,
तेरे साथ का हर अहसास प्रिय,
ज्यों है मादक गीत ।
है दूर क्षितिज में बदरा भी,
बिजली को हृदय बसाए,
उस पर्वत को भी देखो पिया,
सब पे प्यार लुटाए,
पर्वत का अंचल पाकर नदिया,
कितनी है हर्षाय,
मैं भी मांगूँ यही आज दुआ ,
ये पल कहीं बीत ना जाए।
#सुनीता
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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