अनोखी दोस्ती
चलिए आज मैं आपको मिलवाती हूँ लॉकडाउन के बीच आसरा ढूँढते हुए हमारे घर आए नए मेहमानों से । अरे! भई चिंता ना करें इन्हें कोरोना कुछ नहीं कह सकता और ना ही इनके कारण हमें कोई डर।
ये तो है एक प्यारी कबूतरी और कबूतर का जोड़ा कई दिनों से ये घर की बालकनी में रखे ग़मलों के पूछे घोंसला बना रहे थे। सफाई करने के दौरान मैंने एक दिन ग़मलों में भरने के लिए रखी मिट्टी की बाल्टी वहाँ रख दी और बालकनी का दरवाज़ा बंद करके अंदर आ गई। अंदर से ही दिनभर बालकनी में मैं कबूतरों की आवाजाही को देखती रही। शाम के लगभग पाँच बजे मेरा प्यारा जिमी बालकनी खुलवाने की जिद करने लगा तो चाय पीते हुए मैंने बालकनी खोल दी। अंदर आने लगी तो कबूतर की फड़फड़ाहट महसूस हुई और जिम्मी भी कूं-कूं करता हुआ वापस अंदर भाग आया। मैं देखने गई तबतक मम्मी जी यानी मेरी सास वहाँ पहुँच गई़। हम दोनों को बड़ा आश्चर्य हुआ कि मिट्टी वाली बाल्टी में कबूतर का घोंसला बना हुआ है और उनमें दो अंडे पड़े हैं वहीं पास में शेरनी बनकर बैठी कबूतरी जिसने मेरे पाँच साल के डॉग जिम्मी को डरा कर भगा दिया।
मम्मी ने सबको कह दिया इन्हें कोई नहीं छेड़ेगा थोड़े दिन में अंडों से बच्चे निकल जाएंगे तो ये अपने-आप उड़ जाएगी। वैसे घर में कोई एेसा नहीं जो उन्हें उड़ाना चाहेगा। हालांकि मैं जानती हूँ कि कबूतरी अपने अंडों को सेती है तभी उसमें से बच्चे निकलते हैं अन्यथा नहीं। मैं इस कबूतर के जोड़े का वात्सल्य देखकर इतनी हैरान हूँ कि वो कबूतरी पूरा-पूरा दिन उन अंडों पर बैठी रहती है और कबूतर भी आसपास ही रहता है। जब कभी थोड़ी देर के लिए कबूतरी उड़ना चाहती है तो कबूतर उसके स्थान पर बैठता है।
मम्मी को घर में कोई खास काम नहीं होता इसलिए अब उनके लिए तो एक जच्चा की देखभाल का जिम्मा आ गया। वो दिनभर कबूतरी के खाने-पीने का ख्याल रखने लगी। हाँ ये विशेष ध्यान रखती कि जिम्मी किसी हाल में वहाँ ना आए। जिम्मी के लिए भी ये कौतुक का विषय था कि सब वहाँ जाते हैं मुझे क्यों नहीं आने दिया जाता इसलिए वो दूर खड़ा सब देखता रहता। एक दिन मौका पाकर वो उस कबूतरी के पास जा पहुँचा पर बिल्कुल पास ना जाकर दूर से ही उसे देखता रहा। हम सबने ये देखा तो दंग रह गए कि उसने उन्हें नुकसान पहुँचाने की जरा भी कोशिश नहीं की बल्कि खुश होकर हमें बाहर लेकर आया। धीरे-धीरे कबूतर के जोड़े से उसकी दोस्ती हो गई वो दूर से उन्हें देखता है और अंदर आ जाता है। अब तो शाम से लेकर रात तक हमारे जिम्मी का समय वहीं उनकी रखवाली में ही व्यतीत होने लगा।
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