बूँदें........ बरसात
बहकी-बहकी हवा जब मचलने लगी
बूंदें छम-छम, छमा-छम गिरने लगी
फूल-पत्ते भी करने लगे मस्तियां
तन को बारिश की बूंदे भिगोने लगी ।।
तन को गीला किया मन भिगो कर गई,
भावना सूखे तन में ये फिर भर गई,
एक डाली तरसती थी पत्तों को जो,
सूखी डाली में कलियां खिलने लगी
बूंदें छम-छम, छमा-छम गिरने लगी
तन को बारिश की बूंदे भिगोने लगी।।
नाचने लग गया ये मयूर बन के मन
सौंप बैठी मैंं मेघों को तन और मन
चूड़ियाँ जल का करने लगीआचमन
खनखन-खननन खन थिरकने लगी
बूंदें छम-छम, छमा-छम गिरने लगी
तन को बारिश की बूंदे भिगोने लगी।।
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