गांधी एक विचारधारा

सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह की,
राह चलो तो गांधी हो,
सहिष्णु बन तुम लड़ो देश हित
अभिमान तजो तो गांधी हो।
जाति भेद की तोड़ दीवारें
मानवता हित बढ़े चलो,
नागिन सी लहरों के आगे,
बन सको गिरी तो गांधी हो।
घोर-निराशा, तिमिर घनेरा
करना दूर तुम्हें होगा
अँधियारी इन राहों में
बन दीप जलों तो गांधी हो।
बसता है हर मन में गांधी
मगर ढूँढना तुमको है,
लोभ - मोह को त्याग सको तो
समझो के तुम गांधी हो।
लाल-बहादुर पूज्य महान।
सीधा ,शांत,सरल मन ही
व्यक्तित्व की पहचान।
जय-जवान,जय किसान कहकर,
जन में जोश जगाया,
अद्वतीय शासन कर,
कर्तव्य खूब निभाया।
'भारत-रत्न' सपूत देश का,
नव उजियाला लाया,
मनोबल ने उसके'पाक'को,
मुँह के बल गिराया।
उदित हुआ वो आज सितारा
जगमग जोत जलाने को,
दीप्ति देश की दिखलाने
जो याद रहे ज़माने को।
गाँधी का सपना भारत हो,
शिक्षित, स्वच्छ, समर्थ,
सम नर -नारी हों और समझें,
हम धर्मों का अर्थ ।
मीठे वचनों का जल बरसे
भीगे हर इक मन
त्यागें कटु वचन हर जन और,
गाएं हरी भजन ।
राह झूठ की छोडें मानव
मन सत्य हो ज्यों दर्पण
पर सेवा पर उपकार करें,
कर तन-मन, धन अर्पण ।
द्वेष, दंभ, मन से निकले,
हो ह्रदय प्रेम संचार,
घृणा, क्रोध के भाव न जागें,
बहे शांति की मधुर बयार ।
सदकर्मों की ज्योति से हो,
जगमग भारत देश
हाथों पर विश्वास स्वयं के
बदल तू खुद परिवेश ।
सुनीता बिश्नोलिया
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