सुबह सुप्रभात
स्वर्ण रश्मियाँ छितराई,लो आई अलमस्त सुबह,
चिड़ियाँ ने भी पंख पसारे,लो आई मदमस्त सुबह।
झाँक उठी पल्लव से कलियाँ,नवजीवन लेआई सुबह,
भाग पड़ी तारों की सेना,नटखट इठलाती आई सुबह।
लो गायें भी लगी रंभाने,गाती-मुस्काती आई सुबह,
पशुधन दुहने ग्वाल चले,घर भरने फिर आई सुबह।
सज-धज पनघट चली गुजरिया,अलबेली लो आई सुबह,
साथ चली छनकाती पायलिया खेतों में मुस्काई सुबह।
चलीं कुदालें और फावड़े,नव सृजन करने आई सुबह,
बज उठी तान मोहन की ,लो वीणा के स्वर लाई सुबह।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
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