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सोन चिरैया...सोन चिड़िया

 माँ मैं तेरी सोनचिरैया 


माँ मैं तेरी सोनचिरैया बनके हवा अब आऊंँगी, 
माँ मैं तेरी सोनचिरैया बनके हवा अब आऊँगी, 
रो लेना माँ जी भर कर जब, तेरे गले लग जाऊँगी 
तन पे लगे मेरे घावों को माँ,बस तुझको दिखलाऊँगी, 
माँ मैं तेरी सोनचिरैया, बनके हवा अब आऊँगी।
 हंसों के माँ भेष में कागा,होंगे था अहसास नहीं, 
मस्त मगन में उड़ती थी,था खतरे का आभास नहीं, 
माँ तेरी हर सीख याद थी, मैं कुछ भी ना भूली थी
देख दुष्ट गीदड़ इतने माँ, कुछ पल सांसें फूली थी।
 
        नहीं डरी मैं खूब लड़ी माँ, ना हथियार गिराए थे
        देख मेरा माँ साहस इतना,वो मुझसे घबराए थे। 
      माँ तेरी ये चंचल चिड़िया,फिर उड़ने को तैयार हुई
      गिद्धों ने ऐसा जकड़ा माँ, बिटिया तेरी लाचार हुई। 
 पाँख-पाँख तोड़ा मेरा, मैं उड़ने से मजबूर हुई, 
धरती पर मैं गिरी तभी, थककर जब मैं चूर हुई,। 
 माफ़ नहीं करना माँ उनको, इतना मुझको तड़पाया था
पशु से भी थे निम्न वो माँ, जिंदा ही मुझे जलाया था।
नहीं छिपाना नाम मेरा मां सत्य सामने आने देना, 
किस दर्द से गुजरी थी माँ मैं,दुनिया को बदलाने देना। 
     बहन मेरी दुनिया दुष्टों से, भरी हुई यह सारी है, 
     उनसे लड़ने की तुमको भी, रखना पूरी तैयारी है।
     याद दिलाती रहना उनको, मैं फिर वापस आऊंँगी 
  जले हुए इस जिस्म से उनको,सारी उम्र जल आऊंँगी। 
  माँ मैं तेरी सोन चिरैया, बनके हवा अब आऊंँगी, 
  रो लेना माँ जी भर कर, जब तेरे गले लग जाऊँगी ।
सुनीता बिश्नोलिया ©®


















                

                        

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