सुनो न रूठो सुन भी लो ना,ओ मेरे मनमीत।
धवल चाँदनी में गाएँ हम,मधुर प्यार के गीत।।
मैं बहकी हूँ प्रीत में तेरी,
तू मेरा चितचोर ।
हमदम मेरी साँझ तुझी से
तुझसे है नव भोर।।
देख सजन मैं तुझे मनाने, भूली जग की रीत।
धवल चाँदनी में गाएँ हम,मधुर प्यार के गीत।।
मस्त-मास में खिली धरा पर,
मन मेरा बेचैन।
तुझ बिन सारे फूल-शूल बन
छीन रहे हैं चैन।।
आ भी जा मधुमास मेरा जाए ना कहीं बीत।
धवल चाँदनी में गाएँ हम,मधुर प्यार के गीत।।
सुनीता बिश्नोलिया © ®
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