नए वर्ष के आगमन का शोर है
माना निशा के बाद में नवभोर है।
हर तरफ़ फैली हुई हैं व्याधियां,
ले उड़े ना हमको काली आँधियाँ।।
देखना कुछ, पीछे छूटा था कहीं,
मन बैठा होगा,आज भी फिर से वहीं,
याद रख,मत भूलना जख्मों को तू
पहचान दुनिया में,तेरे अपनों को तू।।
नीर शीतल, मेघ की सौगात है,
पहचान तुझमें भी,खास कुछ बात हैं,
तेज़ है तूफान, तीखी धार है,
थाम कर रखना तुम्हें पतवार है ।।
रास्तों में गूंजते, आह्वान हैं,
मत भूल तेरा,देश से ही मान है,
मुश्किलों में, गीत गा तू प्रीत के,
तुम बाद में लिखना,तराने जीत के।।
कर्म से ही जीत, तय होती है सुन-
कर्म ना छूटे, राह तू ऐसी चुन।
नए वर्ष के आगमन का शोर है
आती निशा के बाद में नवभोर है।।
सुनीता बिश्नोलिया ©®
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं मेम 🙏अद्भुत रचना 🌹🙏
जवाब देंहटाएंबहुत -बहुत धन्यवाद
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