सर्दी की रात
घने कोहरे से लिपटी रात...
सांय-सांय करतीसर्द हवाएँ
ए.सी वाली गाड़ी में बैठ
देर रात घर लौटते,कुछ ऐसा देखा,
और मैं सिहर गई,
खेत में नहीं आज फुटपाथ पर सोता
#हल्कू देख रुक गई।
जबरा तो नहीं... हाँ फुटपाथ पर सोते
उन लोगों को गर्माते साथी कुत्ते देखे।
दांत किट-किटाती सर्दी में
वो एक दूसरे का सहारा बने थे,
सिकुड़ कर सोये ठण्ड में काँपते
सोने की असफल कोशिश करते
आदमी के साथ चिपका हुआ
उसके शरीर को गर्माता,खुद को बचाता
शायद उसके लिए भी सर्दी का आसरा
वो
समझ नहीं आ रहा था
आखिर कौन किस का आसरा ले रहा है?
आधी रात ओस से भीग चुकी,
बीसियों छेद वाली कंबल में
खुद को लपेटता वो मजबूर।
स्वयं को बहुत कोसा...उसकी दशा से
पीड़ित सी महसूस कर
अपनी शाल उढ़ा कर चली आई।
पर एक...को!!!!
आँखों में अश्रुधार और प्रश्न लिए
किसी को क्यों नहीं दिखता ये हल्कू....???
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
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