भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कहा
निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति को मूल।
बिना निज भाषा ज्ञान के, मिटत ना हिये को शूल"
हिंदी आत्मविश्वास की भाषा है। गांधी जी भी कहते थे हिंदी आम-जन की भाषा है, हिंदी जन-जन को भाषा है। वो कहते थे हिंदी महज भाषा नहीं बल्कि ये हमको रचती है क्योंकि पे हमारे हृदय में बसती है।
मेरा मानना है कि विचारों ही अभिव्यक्ति के लिए परिस्थितियों एवं स्थान के अनुकूल विभिन्न भाषाओं का ज्ञान-अनिवार्य है क्योंकि
भाषाएं हमें विश्व के विविध देशों से जोड़ती हैं। अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम होती है भाषा ।
मगर हिंदी हमारी मातृ भाषा है इसीलिए मेरी और आप सभी के मन की भाषा है। ये हमारे मन के सुप्त भावों को जगाकर अभिव्यक्ति हेतु प्रेरित करती हूँ। मन के बंद कपाटों के ताले खोलकर आत्मज्ञान प्राप्ति का सुगम मार्ग प्रशस्त करती है।
हिंदी भाषा किसी अन्य भाषा का विरोध नहीं करती वरन् हर भाषा के शब्दों को निविरोध स्वीकार कर स्वयं में समाहित कर लेती हैं संस्कृत से उपजी हमारी हिंदी भाषा। भारतेंदु हरिश्चंद्र कहते थे.
अंग्रेज़ी पढ़कर जदपि, सब गुण होत प्रवीण।
पैनिज भाषा-ज्ञान बिन ,, रहत हीन के हीन।।
दुनिया के हर कोने में रह रहे भारतीयों को भावनात्मक रूप से जोड़कर एकता के सूत्र में पिरोती है हमारी हिंदी।
हिंदी हमारी सोच और विचारों की भाषा है क्योंकि हम जो सोचते हैं उसे अन्य भाषाओं की अपेक्षा बहुत ही सरलता से हिंदी भाषा में अभिव्यक्त कर सकते हैं। अतः मस्तिष्क के मंथन और विचारों की बहती सरिता का सृजन सागर विलय करवाती है मीठी - मधुर हिंदी भाषा।
हमारी संस्कृति विश्वभर को लुभाती है हमारे संस्कार सम्मोहित करते हैं, दुनिया को। भारतीय संस्कारों और संस्कृति को गहराई से जानने के लिए ना सिर्फ भारतीय मूल के नागरिक वरन् बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक भी हिंदी भाषा सीखते है।इसीलिए वैश्विक प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से दस सितंबर को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।
भारत नाम ही है विविधता में एकता का एकता का इसलिए स्वाधीनता के पश्चात सैंकड़ों भाषाएं एवं हजारों बोलियों वाले देश में राज कार्य करने के लिए एक भाषा तय करना अनिवार्य था। इसी कारण देश में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी को संविधान सभा में 14 सितंबर 1949 को राजभाषा का दर्जा दिया गया तथा 14 सितंबर 1953 को राजभाषा प्रचार प्रसार समिति की सिफारिश से प्रत्येक वर्ष हिंदी दिवस मनाया जाता है। देश देश में हिंदी विरोधी सुर उठने के बावजूद दुनिया भर में चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है हिंदी।
सुनीता बिश्नोलिया
हिंदी हमारी पहचान हैं और हमें हमारी भाषा पर गर्व हैं।🙏🙏🌹🌹💐💐
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