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सतरंगी आखर - काव्य संग्रह

Seema Rathore  - सीमा राठौड़ - "सतरंगी आखर" राजस्थानी कविता संग्रह 💐💐🌹🌹


हनुमान जयंती के दिन सखी सीमा राठौड़
'शैलजा'  राजस्थानी काव्य संग्रह 'सतरंगी आखर' के लोकार्पण में जाने का अवसर मिला।सुरेश कुमार जी द्वारा डिजाइन की गई यह पुस्तक सुंदर चित्रांकन के साथ साहित्य का सुंदर संगम है। 
  कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री नारायण सिंघ राठौड़  पीथळ, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृतिअकादेमी बीकानेर, अध्यक्ष श्री भवानी सिंघ राठौड़ 'भावुक ' संस्थापक और संपादक ,नुंवो राजस्थान, श्री प्रदीप सिंघ  राजावत, सखी कामना राजावत एवं कर्नल(मानद) पार्वती जांगिड़ सुथार थी। सखी मीनाक्षी पारीक  एवं  सखी मान कंवर एवं मैंने भी अपने विचार साझा किए। 
कई दिन हुए किताब  पढ़ नहीं पाई लेकिन कल इस किताब को हाथ में लिया तो खुद को पूरी पढ़ने से रोक नहीं पाई क्योंकि संग्रह की पहली ही कविता कहती हैं - 
कविता एक भूख है 
ज्यूं चाय री तलब
मनड़ै  री कसक 
काळजै री टसक
भावां री पोटळी
अर झूठी प्रीत 
टूक-टूक काळजो
ऊंडी पीड़... 
 कवयित्री मायड़ भाषा राजस्थानी की पक्षधर है वो हर हाल में राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाना चाहती है। इसके लिए वो  मायड़ भाषा की पीड़ समझते हुए  लोगों को उलाहना देते हुए कहती हैं - 
   "म्हारी मायड़ बिलखै तरसै
    क्यूं मानता नै आज
पीड़ सैयी नी जावै अब तो
थै चेतो क्यूं नई राज।" 
 कवयित्री सामाजिक मर्यादाएं तो जानती है रोक-रोक में नहीं रह सकती वो उन्मुक्त होकर लिखती है। अपनी कविताओं के माध्यम हौसलों की उड़ान तो भरती है उन्हें लेकिन पँखों की कमी कवखलती है इसीलिए वो कहती है-  
        " आगलै जलम मै म्हानै 
            चिड़ी बणा दीज्यो 
                   म्हारा राम। 
              चावूं जठै बैठूं
        पांखड़ा फैलावूं 
        चावूं बठै उड ज्यावूं।" 
 महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले समाज में भ्रूण हत्या सकपकाती हुई कवयित्री अपने भावुक हृदय से  समाज से विद्रोह कर उठती है। वहीं उसकी कलम से निकली संवेदनाओं की स्याही बिखर जाती है श्वेता पृष्ठों पर और रूदन करने लगते हैं उसके शब्द-
     " कुणसी कूख मै खिली कळी तू
           कुण  निर्दयी छोडगी..
      कंवळा-कंवळा हाथां नै
    किकर बिन चूम्यां छोडगी... 
     क्यूं कुचळो थे नान्ही कळी नै
    हिरदै रा नईं टूक हुया क्यूं
   ममता सूं मूंडो मोड़गी... 
  समाज के विविध रूपों और विविध रंगों वाली 'सतरंगी आखर'  कई प्रश्नों और अपने अंदर कई संदेश छिपाए है। 
इस काव्य संग्रह की सभी कविताएं पठनीय है।  एक बहुत ही सुंदर काव्य संग्रह के छपने की सखी सीमा राठौड़ को बहुत बहुत बधाई। 💐💐💐🌹🌹

टिप्पणियाँ

  1. जिण तरऊ आप ईण संकलन रे बारे मे लिखी हैं, मन मे ईण ने हाथ माय लेर पढण री हुंस बढगी हैं। लेखिका ने सीमा जी ने घणो घणो आभार के ईण कृती न समाज खातर समर्पण करी 🙏🙏

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