#रंग नीले-पीले,लाल-गुलाबी,जित देखो उत रंग हैं बिखरे, फाग का रंग चढ़ा धरती पर,रंग ही रंग हर तरफ हैं छितरे। उड़ते रंगों में लिपटी हुई ,धरती देखो बनी दुल्हनिया, फाग की मस्ती मुख पे लिए,बहु रंगों की ओढ़ चुनरिया, मोसम है मस्ताना और वात्सल्य लुटाती वसुधा, झूम रहा हर पल्लव संग मन में भर कर उत्साह। पुकार रहा मन आज मैं हर फूल को बाँहों में भर लूँ, ये रंग भरूँ हर जीवन में हर रंग को दिल में बसा लूँ। अलंकार अलबेले ये रंग,रूप धरा का और सँवारे, रंग बिरंगी पुष्प-लताएँ , कहीं खिले ये टेसू प्यारे, उड़ते हुए रंग कितने प्यारे,फाग की मस्ती में बहके सारे, धरती पर हैं अजब नज़ारे,आँखों को भाते हैं सारे। धरती का हर कोना भरा है,रंगों से लिपटी पूरी धरा है, बचा न कोने खाली कोना,रंगों ने न की शरारत जहाँ है। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia