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संदेश

वीना चौहान - साहित्य को समर्पित 💐💐जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं वीना दी 🎂🎂💐🎂💐🎂

जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं वीना दी 🎂🎂💐🎂💐🎂 कहती हैं सूरज की किरणें                     कर खुद पर विश्वास।          हारेगा सौ बार मनुज,                  मत छोड़ जीत की आस।।     "मंजिलें नेक हों तो सपने भी साकार होते हैं,     अरे सच्ची लगन हो तो रास्ते आसां होते हैं।"        जी हाँ बिल्कुल ये सही कहा है किसी ने        क्योंकि कार्य करने की ललक और हिम्मत भी व्यक्ति जुटा लेता है पर उद्देश्य स्पष्ट ना होने के कारण व्यक्ति असफल भी हो सकता है। किंतु कार्य अगर लोक कल्याण का हो और इसी जन कल्याण को करने की तीव्र उत्कंठा आपके जीवन का उद्देश्य और महिला लेखिकाओं को लेखन के अवसर प्रदान कर उन्हें मंज़िल की ओर अग्रसर करना आपका लक्ष्य बन जाए तो वास्तव में आप एक सच्चे साहित्यकार हैं। वर्तिका वर्तिका राजस्थान लेखिका संघ की पूर्व अध्यक्ष एवं नारी कभी ना हारी संस्था की संस्थापिका आदरणीय वीना चौहान दी आज किसी परिचय की मोहताज नहीं। भारत में ही नहीं वरन विदेशों में भी आप 'नारी कभी ना हारी' के माध्यम से महिलाओं को एक मंच पर लाने

सुप्रभात #Suprabhat #goodmorning

देता है उपदेश ज़माना        ख़ुद की लेकिन ख़बर कहाँ  दूजों में कमियाँ खोजें पर,         खुद की आती नजर कहाँ।  नुक्ताचीनी के कारण है,          मीठा सबका जीवन रस,  रोग छिपे हैं मीठे में ही          दिखते उनको मगर कहाँ।।  सुनीता बिश्नोलिया

सुप्रभात

सुप्रभात रंग मंच दुनिया सकल,अभिनय करना काम। ईश्वर नाच नचा रहा, बैठा डोरी थाम।।      सुनीता बिश्नोलिया 

सुप्रभात

सुप्रभात🙏🙏💐💐 पिताजी कहते थे अच्छी और बुरी परिस्थियाँ     तो संगिनी होंगी तुम्हारी     इसलिए हर परिस्थिति में मुस्कुराना।      क्योंकि साथियों के साथ मार्ग में हँसकर ना       चलो तो राह मुश्किल होती है     इसीलिए विकट परिस्थियों में भी           मुस्कुराती हूँ     विश्वास का दीप  जलाकर      अंधेरों को ठेंगा दिखाती हूँ।       सुनीता बिश्नोलिया 

मेरी ताकत मेरी कलम

 मेरे जीवन की थाती   कहना चाहती हूँ सब    मौन होने से पहले   चलाना चाहती हूँ कलम   होश खोने से पहले   मेरे शब्द ही मेरा विश्वास,    मेरी थाती हैं,   मैं मिट्टी का दिया   ये जलती बाती है।   प्रकाशित है महल    प्रेम की लौ से मेरे अंतर का,   एक कोने में भर के रखा है    स्वच्छ जल, नील सर का।    बाँटना चाहती हूँ प्रकाश   जो थोड़ा बहुत    आया है मेरे हिस्से,   न होंगे कल.. कोई नहीं    याद तो रहेंगे    मेरे किस्से।   पढ़ती रहती हूँ उसकी लिखी     प्रेम की जो पाती है,    मैं मिट्टी का दिया और    ये जलती बाती है।  सुनीता बिश्नोलिया 

हिंदी दिवस - मेरी पहचान हिंदी

   भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कहा  हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं  निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति को मूल।  बिना निज भाषा ज्ञान के, मिटत ना हिये को शूल"    हिंदी आत्मविश्वास की भाषा है। गांधी जी भी कहते थे हिंदी आम-जन की भाषा है, हिंदी जन-जन को भाषा है। वो कहते थे हिंदी महज भाषा नहीं बल्कि ये हमको रचती है क्योंकि पे हमारे हृदय में बसती है। मेरा मानना है कि विचारों ही अभिव्यक्ति के लिए परिस्थितियों एवं स्थान के अनुकूल विभिन्न भाषाओं का ज्ञान-अनिवार्य है क्योंकि  भाषाएं हमें विश्व के विविध देशों से जोड़ती हैं। अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम होती है भाषा ।    मगर हिंदी हमारी मातृ भाषा है इसीलिए मेरी और आप सभी के मन की भाषा है। ये हमारे मन के सुप्त भावों को जगाकर अभिव्यक्ति हेतु प्रेरित करती हूँ। मन के बंद कपाटों के ताले खोलकर आत्मज्ञान प्राप्ति का सुगम मार्ग प्रशस्त करती है।    हिंदी भाषा किसी अन्य भाषा का विरोध नहीं करती वरन् हर भाषा के शब्दों को निविरोध स्वीकार कर स्वयं में समाहित कर लेती हैं संस्कृत से उपजी हमारी हिंदी भाषा। भारतेंदु हरिश्चंद्र कहते थे.    अंग्रेज़ी पढ़कर जदपि,

कठपुतली

                         प्रेम के धागे में बंधी        थिरकती रही         हर ताल पर।         मेरा संसार थे तुम         और तुम्हारी         उँगलियों से छोड़ी        ढील का सीमित दायरा।         धागे के खिंचाव और         इशारों पर नचाते         मीठे बोलों ने        तुम्हारी तय की हुई         हद में रखा मुझे..!        सागर के हृदय पर         मचलती लहरों को देखकर        जाना         प्रेम नाम बंधन का नहीं..!           और याद कर         अपना अस्तित्व         तोड़ दिए बंधन के धागे।         हाँ.. साथ रहूँगी सदा         पर....        तुम्हारे प्रेम में नाचती         कठपुतली बनकर नहीं।        किनारों से बाहर बहती         लहरों सी।          सुनीता बिश्नोलिया