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रक्षाबंधन #राखी

 दस पैसी       आज चालीस साल बाद भी रक्षा बंधन के उस दिन को याद करती हूँ तो अपनी मूर्खता पर हँसी के मारे पेट में बल पड़ जाते हैं। उस समय मैं लगभग पाँच- छह वर्ष की रही हूंगी। राखी बांधने के लिए हम पाँचों सुबह-सुबह तैयार हो गई और भाइयों के तैयार होते ही उन्हें मिठाई खिलाकर राखी बांध दी। भाइयों के दिए राखी के उपहार पाकर हम बहने मालामाल हो गई।   बस गुस्सा आया तो बड़े भईया पर क्योंकि उन्होंने हमें बीस-बीस रुपये दिए। बाकी बहनें कुछ नहीं बोली पर मैं मुँह फुलाकर बैठ गई। सबने मेरे गुस्से का कारण पूछा पहले तो मैं कुछ नहीं बोली पर सबके बार-बार पूछने पर मैं रोने लगी।          इस पर भईया ने पूछा  "और पैसे चाहिए क्या…?" ये सुनकर मैंने भईया को बीस रुपये वापस देकर रोते हुए कहा - " मुझे ये पैसे नहीं चाहिए… मुझे तो दस पैसे और पच्चीस पैसे चाहिए। इत्ते कम पैसों से पैसों में लच्छू  टॉफी नहीं देता वो तो दस और पच्चीस पैसे ही लेता है। दरअसल हमारा पड़ोसी दुकानदार 'लच्छू' बच्चों को सिर्फ दस और पच्चीस पैसे का सामान देता था। अगर कोई कागज के रुप

#चंद्रयान - Chandrayaan-3

 चंद्रयान - 3 #इसरो  Chandrayaan-3  ऊँची भरी उड़ान सफल तो होना था  धरती पर रचा इतिहास, चाँद पर रचना था । सुबह का सूरज,कल संध्या निकला था  वो गौरव के पल देख, हर इक मन हरखा था  हमने रचा इतिहास  जगत ने देखा था । चंद्रयान-3 #chandrayaan-3 धरा चंद्र की चूम आज इठलाते हैं  गीत सफ़लता के मिलकर हम गाते हैं  मंगल खेले गोद,मोद में मन डूबा था  ये दिवस पर्व का याद,हर इक ज़न रखेगा  हमने रचा इतिहास  जगत ने देखा था । चट्टानों से क्या डरना जब लोहा दिल में है  मन में है विश्वास तो क्या मुश्किल मंज़िल में है  मात भारती के दूतों का,चंदा ने चरण पखारे  तिलक तिरंगा आज चाँद पर दमके है  हमने रचा  इतिहास जगत ने देखा है । सुनीता बिश्नोलिया