मुश्किल घड़ी - कोरोना काल. #Corona मुश्किल घड़ी दौर मुश्किल बड़ा है मगर मुश्किल ों से निकलना पड़ेगा । भंवर में फँसी नाव को भी तो पहले बुद्धि के बल पर तुम्हीं ने निकाला। आशा का दीपक मन में जलाकर सागर में नैया को तुम्हीं ने संभाला। काल की तरहा उठती लहरों में डटकर पार मुश्किल ये सागर करना पड़ेगा।। सृष्टि की रचना से अब तक धरा पर विपदा के सागर कितने ही आए। विपदा के आगे मगर ना कभी भी कदम उठ गए जो पिछले हटाए। खड़े हो गए काल के जाके सम्मुख हमें काल से फिर, टकराना होगा।। सदा मुश्किल ों पर विजय होती आई जय आगे भी होगी होती रहेगी। जगमग जले जोत एेसी बिखेरो जोत तूफान में भी जलती रहे एेसी आशा की बाती बुद्धि का दीपक सागर के उर पर जलाना पड़ेगा।। सुनीता बिश्नोलिया जयपुर
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia