सुप्रभात झूठा-अंजन डाल के,मत कर आँखें बंद। सत्य साथ देगा सदा,झूठ रहे दिन चंद।1। अहंकार का मत भरो,काजल अपनी आँख। टूटेगा इक रोज ये, ज्यों पंछी की पाँख।2। .काजल ज्यों काले करे,निर्मल-कोमल हाथ। साथी को दागी करे, दुष्ट मनुज का साथ।2। रंग मंच दुनिया सकल,अभिनय करना काम। दाता नाच नचा रहा, बैठा डोरी थाम।3। सुनीता बिश्नोलिया
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia