वसंत का सौंदर्य क्यों मनाते हैं वसंत पंचमी अधूरी इच्छा छाई है तरुणाई तिस पर, रूप सजा अलबेला, सजी धजी धरती दिखे, पहना वसंत दुशाला। देख धरा की कोमल काया, मन डोले मतवाला बिना गए मधुशाला ही, चढ़ी ग़ज़ब की हाला। राजस्थानी गीत - बसंती आई रुत मनभावणी घूंघट में ना सिमट रही, रूप की मादक ज्वाला, आज गगरिया छलक रही, पी मधुमास का प्याला। सुनीता बिश्नोलिया जयपुर
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia