वसंत - गीत क्यारी-क्यारी फूलङा,अब रंगां रो राज। पतझङ रा दिन बीतिया,आय गया रितुराज।। वसंत का सौंदर्य आएगा वसंत चंपा और चमेली महकै, महकै फूल हजार, मोर-पपईयां री बोली ज्यूं, झांझर री झणकार।। बसंती....बसंती आई रुत मनभावणी, रळ-मिल गावां ये। 1 रूप खिल्यो धरती रो देखो, बिखर् या कितणा रंग, देख बसंती बालम मन मैं, बाजण लाग्या चंग।-2 पीळा और पोमचा ओढ्यां, कर सोळा सिणगार, मुळकै धरती पैर नोलखो, फूलां वाळो हार।। बसंती....बसंती आई रुत मनभावणी, रळ-मिल गावां ये। ।। 2.ऊँचा-नीचा टिबङियां री, सोनै बरगी रेत, मुळक रह्या सै देख बसंती, सरसूं वाळा खेत। भँवरा और तितळियां उङ-उड, घणी करै मनवार, धोरां री धरती इतरावै, ज्यूं मतवाळी नार।। बसंती....बसंती आई रुत मनभावणी, रळ-मिल गावां ये।। वसंत का सौंदर्य 3.रूंखा रो बी मनङो हरखै, आया काचा पान चालै भाळ बसंती छेङै, फागणिये री तान, क
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia