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बसंती आई रुत मनभावणी हिलमिल गावां ये- वसंत गीत राजस्थानी

वसंत - गीत  क्यारी-क्यारी फूलङा,अब रंगां रो राज।  पतझङ रा दिन बीतिया,आय गया रितुराज।।  वसंत का सौंदर्य आएगा वसंत   चंपा और चमेली महकै,      महकै फूल हजार,  मोर-पपईयां री बोली ज्यूं,  झांझर री झणकार।।  बसंती....बसंती आई रुत मनभावणी,   रळ-मिल गावां ये।  1 रूप खिल्यो धरती रो देखो,         बिखर् या कितणा रंग,  देख बसंती बालम मन मैं,     बाजण लाग्या चंग।-2  पीळा और पोमचा ओढ्यां,     कर सोळा सिणगार,  मुळकै धरती पैर नोलखो,   फूलां वाळो हार।।  बसंती....बसंती आई रुत मनभावणी,      रळ-मिल गावां ये। ।।  2.ऊँचा-नीचा टिबङियां री,                 सोनै बरगी रेत,    मुळक रह्या सै देख बसंती,               सरसूं वाळा खेत।  भँवरा और तितळियां उङ-उड,             घणी करै मनवार,  धोरां री धरती इतरावै,             ज्यूं मतवाळी नार।।  बसंती....बसंती आई रुत मनभावणी,  रळ-मिल गावां ये।।   वसंत का सौंदर्य 3.रूंखा रो बी मनङो हरखै,                आया काचा पान चालै भाळ बसंती छेङै,               फागणिये री तान, क