सदा ना एक सा होता वक़्त हर दम बदलता है, सफ़ल होता वही एक दिन जो ठोकर खा संभलता है नहीं हो हाथ में कुछ भी कोसना मत तू किस्मत को होती खुशियाँ बिछी आगे एक दिन वक्त आता है।। दोहा सुनीता बिश्नोलिया
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia