वसुधैव_कुटुंबकम साँस-साँस की आस में, मन-मानस हों पास। दूरी से कड़ियाँ जुड़े, सब अपने सब खास।। सुनीता बिश्नोलिया जीवन के इस सत्य को, कर मानव स्वीकार। माना मृत्यु अटल है, पर ना जीवन हार। सुनीता ©®
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia