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ग़मगीन हो जाना तो बुज़दिलों का काम है

आज अपनी प्यारी दोस्त प्रीति कपूर की कविता पढ़कर ऐसा लगा कि उन्होंने इस कविता में हर वो बात  कह दी है जो मेरे मन में थी। मेरे मन में निराशा के लिए कोई स्थान नहीं इसीलिए यह कविता मेरे मुझे विशेष रूप से पसंद है। जयपुर के वैशाली नगर स्थित डिफेंस पब्लिक स्कूल में प्राथमिक कक्षाओं की इंचार्ज होने के साथ ही सामाजिक विज्ञान ( Social science)  की अध्यापिका प्रीति कपूर छात्रों की प्यारी अध्यापिका होने के साथ ही स्पष्ट विचारों की धनी भावुक हृदयी लेखिका हैं आइए पढ़ते हैं ह्रदय में आशा का संचार करती यह कविता।  कविता पढ़कर अपनी राय अवश्य दीजिए  आज कल दिल कुछ बिखरा बिखरा सा रहता है कई बार सोचती हूँ की समेट लू वह पल ,  वह यादें जो दिल को सुकून देती थी पर फिर अचानक जाने क्या होता है ,  कुछ छूटता सा,टूटता सा महसूस होता है, दिल को समझती हूँ , कि यह बस कुछ समय की बात है। उमंगो को सोने मत दे, जज़्बातो को जगाये रख,  यह भी एक लम्हा है, गुजर जायेगा, यह पल यहीं नहीं ठहर पायेगा, पर फिर भी न जाने क्यों यह दिल , आजकल कुछ बिखरा बिखरा सा रहता है हँसना चाहती हूँ ,और हँसती भी हूँ पर फिर भी