माँ पन्ना धाय मेरी माँ माँ री बिलोवणी मिक्सी चलाकै मक्खन निकाळण मैं देर तो कोनी लागै पण कानां मेैं गूँजै है, माँ री बिलोवणी री झगर-मगर। बासी बुहारी काड कै, पीस्या करती गीहूं,बाजरो, दळ कै मूंग,मोठ अर चणा, माँ बैठ ज्याया करती बिलोवण तांई।। कितणो जरूरी काम होया करतो सुंवारै-सुंवारै छा बिलोवणो। झगर-मगर री अवाज सूं खुल ज्याया करती नींद। आपरै सागै लेगी माँ बिलोवणी अर म्हारी मीठी नींद संभळागी संस्कार जिम्मेदारी निभावण रा। सुनीता बिश्नोलिया © ®
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia