हँसमुख और खुश मिजाज़ टीना जोशी के मुख पर पर आज भी एक मासूम बच्ची की मुस्कराहट खेलती है। वो लिखती हैं बचपन की मीठी - मासूम और सुखद स्मृतियों को।उसी नटखट अंदाज में जिस अंदाज में बच्चे अपनी चपलता और चंचलता से मोहित करते हैं अपनों को। आइए हम भी टीना जी के साथ चलते हैं उनके बचपन की दुनिया में जी लेते हैं अपना बचपन। मैं भी सुदामा देवी माँ मीठा पान हरी मिठाई, लाल अमरूद, एक बात मेरे मन में कई बार आती है सोचती हूँ कहूँ या नहीं चलिए कह ही देती हूँ....जापान जैसे विकसित देश में प्रारंभ के 7 वर्ष बच्चों को तमीज और तहजीब सिखाने में बिताए जाते हैं। लेकिन हमारे भारत में प्राथमिक शिक्षा को बिल्कुल भी प्राथमिकता नहीं दी जाती है। इसकी जीती जागती मिसाल है मेरी ये कहानी कैसे..? आप पढ़िए फिर आप अपने आप मेरी बात मानने को मजबूर होंगे चलिए तो सुनिए.. हम तीन भाई बहन हैं बड़ी दीदी फिर मैं और मेरा एक छोटा भाई। वर्तिका मैं बहुत छोटी थी पर.. दीदी को स्कूल जाते देखकर न जाने मेरे मन में स्कूल जाने की इच्छा जाग्रत होने लगी और मैं भी जिद करने लगी।
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia