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गणेश चतुर्थी

एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः । प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ॥   अर्थात्‌  एक दाँत और सुन्दर मुख वाले, शरणागत एवं भक्तजनों के रक्षक तथा पीड़ा का नाश करनेवाले शुद्धस्वरूप गणपति को बारम्बार नमस्कार है । हर हृदय में बसते हैं और घर-घर पूजे जाते हैं आदिदेव महादेव के पुत्र  गजानन।  नए कार्य का शुभारम्भ हो अथवा धार्मिक उत्सव, विवाहोत्सव हो अथवा अन्य मांगलिक अवसर। कार्य सिद्धि हेतु सर्वप्रथम पूजे जाते हैं एकदंत।  रिद्धि- सिद्धि और समृद्धि के दाता,आपदाओं से रक्षा करने वाले, शुभ-भाग्य प्रदाता, बिना व्यवधान के कार्य संपन्न कर्ता गौरी पुत्र गणेश शुभ के रूप में  हर घर में विराजमान रहते हैं और पूजे जाते हैं। पुराणों के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को विघ्नहर्ता गणेश का जन्म का हुआ।      इसीलिए देश के विभिन्न भागों में गणेश चतुर्थी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन  लोगों के घर गणपति का आगमन होता है। लोकमान्यता के अनुसार गणेश को घर में 10 दिन रखने की परंपरा है।        गणपति को दस दिन घर में रखने की बाध्यता