कुछ टिप्पणियां जो लिखने हेतु प्रोत्साहित करती हैं। बहुत बहुत धन्यवाद मनीषा जी 💐🌼💐🌼 जब आपकी पुस्तक प्रकाशित होकर आई थी तभी मैंने इसे आर्डर कर दिया था ,और पढ़ भी ली थी लेकिन सामान की धरा-उठाई में ये कहीं गुम हो गई थी ।आज फिर से थोड़ी फुर्सत के पल ढूंढे और उनमें कुछ किताबें खोजते हुए "जोग लिखी" भी मिल गयी। आपकी इस कृति में आपने जितनी सुंदर कहानियों का स्तबक बनाया है वो आपके लेखन की परिपक्वता को दर्शाता है।मुझे व्यक्तिगत रूप से वह लेखन अधिक रुचता है जो शब्दों से नहीं , सहजता से गूंथा जाता है और आपके लेखन की यही सबसे बड़ी ख़ूबी है। "इत्ती सी हँसी इत्ती सी खुशी" से आरम्भ करते हुए आपने सारे भावों से भावविभोर कर दिया । आपके लेखन में जो आंचलिकता का पुट दिखाई देता है वो सच में चार चाँद लगाता है। आपने सही कहा गन्ने का रस ही पैरता रहा आपके भीतर तभी तो इतनी मिठास पकी है जो हम पाठकों को भी मिट्ठा कर देती है। आपको इतनी सुंदर कृति के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ💐💐 Sunita Bishnolia जी।आपकी अगली पुस्तक की प्रतीक्षा रहेगी।🙏
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia