क्यों रात के अंधेरे में जला देती हैं लड़कियाँ बाट जौऊँ, पिया आओ , मारू नै मत और बिसराओ बाट जौऊँ, पिया आओ, मारू नै मत और बिसराओ। नैण रोवैं, बाट जोवैं घड़ी भर नैण ना सोवैं। ओळ्यूं थारी घणी आवै पीड़ नैणां मैं दिख जावै बात नैणां री सुण ज्याओ, मारू नै मत और बिसराओ। छाई मन मैं उदासी है, आँख्यां दर्सण री प्यासी हैं। मिटै मनड़ै री जद पीड़ा थै हर ल्यो जीव रा दुखड़ा बात म्हारी मान ज्याओ, मारू नै मत और बिसराओ। ढोला जी.... मारू नै मत और तरसाओ जमानो बोल बोलै है, प्रेम नैणां रो तोलै है रात आँख्यां मैं काटूँ हूँ आँसू पळकां मैं डाटूँ हूँ। बैरी दुनिया नै बतळाओ, मारू नै मत और बिसराओ। बाट जौऊँ पिया आओ, मारू नै मत और बिसराओ। पखेरू सा प्राण कळपै, मीन ज्यूं जळ बिना तड़पै पिया मैं प्रीत सूं हारी, बंधी बचनां सूं मैं न्यारी। न जी नै ओर तड़पाते मारू नै मत और बिसराओ। ढोल जी.. मारू नै मत और तरसाओ घणी पीड़ा जिया मैं है तेरो घर इण हिया मैं है आज ना ओठ खोलूं मैं न मुख सूं बोल-बोलूं मैं गजब मत और थे ढाओ मारू नै मत और बिसराओ। बाट जौऊँ पिया आओ।। कौन कहलाता है
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia